हिदुस्तान हमारा प्यारा, जन जन का है नारा।
भारत माँ के जयकारों से, गूंज रहा जग सारा।
छटा प्रकृति की अद्भुत बिखरी, अनुपम रूप घनेरे।
ऋषियों, मुनियों, विद्वानों के, सदा रहे हैं डेरे।
गंगा, जमुना, सरस्वती की, बहती निर्मल धारा।
भारत माँ के जयकारों से, गूंज रहा जग सारा।।
लाल किला है शान देश की, ध्वजा यहीं फहराते।
चिह्न प्रेम का ताजमहल है, सभी देखने आते।
वीर सपूतों ने, इस धरती, तन मन अपना वारा।।
भारत माँ के जयकारों से, गूंज रहा जग सारा।।
नीलवर्ण परिधान पहन नभ, करता करतब न्यारे।
सागर में भी गहरे कितने, मोती बिखरे प्यारे।।
सूरज निकले बाँह पसारे, करे दूर अँधियारा।।
भारत माँ के जयकारों से, गूंज रहा जग सारा।।
सुरभित, सुंदर पुष्प निराले, नई ताजगी देते।
औषधियों से पूरित वन, कठिन रोग हर लेते।
इस भारत माता पर अपना, अर्पण जीवन सारा।।
भारत माँ के जयकारों से, गूंज रहा जग सारा।।
प्रस्तुति, युवा गौरव
रीना गोयल
हरियाणा, भारत